Cash Transactions Over 2 Lakh: अगर आप घर या ज़मीन खरीदने-बेचने की सोच रहे हैं और उसमें ₹2 लाख या उससे अधिक नकद देने की योजना है, तो अब सतर्क हो जाइए। सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल 2025 को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसे सभी कैश ट्रांजैक्शंस की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देना ज़रूरी होगा।
ब्लैक मनी पर लगाम कसने की दिशा में बड़ा कदम
इस फैसले का उद्देश्य रियल एस्टेट सेक्टर में हो रहे काले धन (ब्लैक मनी) के लेन-देन पर सख्ती से रोक लगाना है। कोर्ट ने साफ किया है कि जब भी किसी रजिस्ट्री दस्तावेज़ में ₹2 लाख या उससे अधिक की नकद राशि का जिक्र किया जाए, तो सब-रजिस्ट्रार को आयकर विभाग को इसकी जानकारी देनी होगी।
किसे और क्या जानकारी देनी होगी?
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश सभी हाई कोर्ट्स, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, और इनकम टैक्स विभाग के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर्स को भेजा है। इन अधिकारियों को यह निर्देश ज़िला न्यायालयों, पंजीकरण कार्यालयों और टैक्स अधिकारियों तक पहुंचाना होगा ताकि नियमों का सख्ती से पालन हो सके और नियमित ऑडिट भी किया जा सके।
इन बातों की जानकारी अनिवार्य होगी:
- दस्तावेज़ का प्रकार (जैसे सेल डीड, गिफ्ट डीड आदि)
- कुल नकद राशि का विवरण
- खरीदार और विक्रेता का पूरा नाम व विवरण
- लेन-देन की तारीख और स्थान
अनदेखी की तो भुगतना पड़ सकता है खामियाजा
अगर किसी अधिकारी ने इस नियम का पालन नहीं किया या जानकारी छिपाई, तो उसके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जा सकती है। इतना ही नहीं, अगर टैक्स विभाग को किसी तलाशी, असेसमेंट या अन्य माध्यम से ऐसे गैर-घोषित लेन-देन की जानकारी मिलती है, तो संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव को भी सूचित किया जाएगा।
निष्कर्ष: अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने जा रहे हैं और कैश में ₹2 लाख या उससे अधिक राशि देने की सोच रहे हैं, तो अब आपको पूरी पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ना होगा। नहीं तो कानूनी मुसीबत में फंस सकते हैं।